छत्तीसगढ़ कौशल न्युज सरकार की राशन कार्ड योजना राज्य व देश के गरीब और बेसहारा नागरिकों के लिए एक पुरानी और लाभकारी योजना है, जिसके तहत उन...
सरकार की राशन कार्ड योजना राज्य व देश के गरीब और बेसहारा नागरिकों के लिए एक पुरानी और लाभकारी योजना है, जिसके तहत उन्हें फ्री में राशन मिलता था। 2024 के नए नियमों के अनुसार अब राशन कार्ड धारकों को चावल,नमक निः शुल्क साथ में चना, शक्कर भी प्रदाय की जा रही है। जिससे आज की स्थिति में गरीब मजदूरों के लिए सरकार की यह योजना वरदान साबित हुई है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ राशन माफियाओं ने सरकार की निःशुल्क राशन वितरण योजना का बंटाधार कर दिया है। जिससे गरीबों को उनका हक छीना जा रहा है। और आज गरीब मजदूरों के जीवन में आर्थिक संकट खड़ी हो गई है। सच कहें तो इसका जिम्मेदार शासन प्रशासन ही है,और उसके जवाबदेही आलाधिकारी कर्मचारी।
राशन वितरण प्रणाली को प्रभावी बनाने के लिए लगी थी बायोमैट्रिक मशीन, फिर भी हितग्राही के लिए घातक साबित !
सरकार जनहित के लिए योजनाएं तो बनाती हैं, मगर जिम्मेदार अफसरों के उदासीन रवैये के कारण धरातल पर नहीं उतर पाती है। इसकी बानगी रायगढ़ जिले में देखने को मिल रही है। जनवितरण प्रणाली की दुकानों में धांधली रोकने के लिए बायोमैट्रिक मशीन के जरिए राशन देने की घोषणा की गई थी। बायोमैट्रिक उपकरण लगाए भी गए। वहीं राशन वितरण की आड़़ में अनाज का काला कारोबार करने वाले सकते में गए थे। वहीं पहले ही दिन तरह-तरह की गड़बड़ी का हवाला देते हुए दुकान बंद कर दिया था। इधर, कुछ दुकानदार तो पीडीएस का लाइसेंस तक सरेंडर कर चुके थे। बहुत दुकानदार सरेंडर करने की मन बना चुके हैं। लाइसेंस सरेंडर करने का मुख्य कारण बायोमैट्रिक में किसी भी तरह की गड़बड़ी करने की गुंजाइश नहीं है। दुकानदारों को यह डर सताने लगा है कि अब कार्ड होल्डर उपभोक्ताओं को हरेक माह राशन देना होगा। अगर वे राशन देने में गड़बड़ी करते हैं तो स्टॉक में शो में तत्काल गड़बड़झाला का खुलासा हो जाएगा। और वहीं रजिस्टर्ड उपभोक्ताओं के राशन की कालाबाजारी नहीं होगी। अनाज की कालाबाजारी पर रोक लगना तय है। इधर, पीडीएस दुकानदारों का कहना था,कि उन्हें मशीन ऑपरेट करने में परेशानी हो रही है।ये अलग बात है कि दुकानदार तकनीकी पक्ष का हवाला देकर लाइसेंस जमा कर रहे थे, लेकिन इसके पीछे सोची समझी साजिश थी। बता दें, बायोमैट्रिक मशीन लगने से राशन की कालाबाजारी थम जाएगी। हर उपभोक्ता के आधार कार्ड से अंगूठे का निशान लेने के बाद ही राशन देने का प्रावधान है। उपभोक्ताओं को दिए गए राशन का पूरा ब्योरा, वर्तमान स्टॉक मशीन में दर्ज रहेगा। बचा राशन दूसरे ग्राहक को बेचने की गुंजाइश बंद हो जाएगी। क्योंकि बगैर बायोमैट्रिक का राशन नहीं देना है। बायोमैट्रिक मशीन से सिर्फ रजिस्टर्ड उपभोक्ताओं को ही राशन मिल पाएगा। लेकिन वहीं बायोमैट्रिक मशीन होने न होने से राशन माफियाओं को कोई फर्क नहीं हुआ, क्योंकि राशन वितरण का सिर्फ तरीका बदला है, गरीबों का हक मारने सिलसिला तो युं ही जारी है।
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