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मिनी स्टेडियम में खिलाड़ियों की जगह दिख रहीं बकरियां, खंडहर हुआ 52लाख रुपये से बना ग्राउंड

  छत्तीसगढ़ कौशल न्युज  धमतरी:- जिले में 52 लाख रुपये की लागत से बना मिनी स्टेडियम खंडहर हो गया है. इस स्टेडियम में खिलाड़ियों को छोड़कर शरा...

 


छत्तीसगढ़ कौशल न्युज 

धमतरी:- जिले में 52 लाख रुपये की लागत से बना मिनी स्टेडियम खंडहर हो गया है. इस स्टेडियम में खिलाड़ियों को छोड़कर शराबी और बकरियां देखने को मिलती हैं. आइए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।

खेल और खिलाड़ियों को मोटिवेट करने के लिए केंद्र सरकार कई तरह के कार्यक्रम चला रही है. खेलो इंडिया (Khelo India) के तहत ट्रेनिंग और प्रैक्टिस करके कई खिलाड़ियों ने भारत का नाम देश-विदेश में रोशन किया है. लेकिन, ग्रामीण स्तर पर कई जगहों पर प्रशासन की उदासीनता देखने को अकसर मिलती है. ऐसा ही एक लापरवाही का मामला छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के धमतरी जिले से 80 किमी दूर बसे नगरी सिहावा क्षेत्र से सामने आया है. वनांचल इलाकों से घिरे इस जगह पर बेलर गांव में प्रशासन ने 2014-2015 के आसपास एक मिनी स्टेडियम (Mini Stadium) का निर्माण करवाया था. लेकिन, ये स्टेडियम खिलाड़ियों की राह आज तक देख रहा है, एक भी नहीं आया. आज के समय में 52 लाख रुपये की लागत से बने इस स्टेडियम में केवल बकरियां और शाम के समय में शराबी देखने को मिलते हैं।

स्टेडियम तक पहुंचने के लिए कोई रास्ता ही नहीं!

प्रशासन ने ये स्टेडियम इसलिए बनवाया था, जिससे खिलाड़ी अपनी कला का प्रदर्शन कर आगे बढ़ सके. लेकिन, इस मिनी स्टेडियम के निर्माण के बाद इस खेल मैदान पर कोई भी खिलाड़ी नहीं पहुंच पाया. ऐसा इसलिए, क्योंकि 52 लाख की राशि केवल मिनी स्टेडियम को बनाने में लगा दी गई. प्रशासन ने खिलाड़ियों को मिनी स्टेडियम तक पहुंचने के लिए रास्ता ही नहीं बनवाया!

खेतों के बीच में बनाया गया स्टेडियम

यह मिनी स्टेडियम जहां बना है, वहां चारों तरफ खेत ही खेत हैं. अब ये खंडहर हो गया है. इस खंडर मिनी स्टेडियम में खिलाड़ी तो नहीं पहुंच पाए, लेकिन यहां शाम के वक्त शराबी और ताश खेलने के लिए जुआरी जरूर पहुंच जाते हैं. जहां खिलाड़ियों को मैदान में पहुंचना चाहिए था, वहां अब बकरियां चरती रहती हैं।

स्ठानीय लोगों ने शिकायत भी की

स्थानीय लोगों ने कई बार इसकी शिकायत सरपंच, क्षेत्र की विधायक और जिले के कलेक्टर से की है. लेकिन, फिर भी इस समस्या का कोई निराकरण अब तक नहीं हुआ है. खिलाड़ी दूसरे गांव में जाकर अपने अभ्यास करते हैं. स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि प्रशासन ने खेतों के बीचोंबीच इस मिनी स्टेडियम का निर्माण करवा दिया है, जो गर्मियों में आसानी से खेत के मेडों को पार कर जरूर पहुंचा जा सकता है, लेकिन बारिश के दिनों में आसपास पानी में भरा रहता है. बाकी दिनों में किसान अपनी खेती करते हैं, जिसकी वजह से यहां तक पहुंच पाना असंभव हो जाता है।

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