छत्तीसगढ़ कौशल न्युज कुरुद:- क्षेत्र के ग्राम पंचायतों में इन दिनों अवैध अतिक्रमण इन दिनों जोरो शोरो से हो रहा है जिसके सामने तहसीलदार ...
कुरुद:- क्षेत्र के ग्राम पंचायतों में इन दिनों अवैध अतिक्रमण इन दिनों जोरो शोरो से हो रहा है जिसके सामने तहसीलदार जैसे गरिमामय पद में बैठे लोग नतमस्तक होते नज़र आ रहे है,,अवैध अतिक्रमण होने की शिकायत प्रार्थियों के द्वारा लगातार जारी है पर अगर कार्यवाही की बात करने स्थिति शून्य नज़र आता है, मिली जानकारी के मुताबिक ग्राम खैरा, सिंधौरीकला, कोटगांव, खर्रा, सिवनीकला समेत कई गावो में अतिक्रमणकारियो के हौसले इतने ज्यादा बुलंद है जैसे मानो कि स्थानीय तहसीलदार का संरक्षण प्राप्त हो,,शिकायतकर्ताओं की माने तो तहसीलदार, अनुविभागीय दंडाधिकारी के पास अब शिकायत करना या ज्ञापन सौपना अब मजाक और आम बात हो गई है जिसके बाद कार्यवाही शून्य होती है यह कहना कतई गलत नही होगा कि अब शिकायतकर्ता शिकायत करने से अच्छा अब घरों में बैठना ज्यादा उचित समझ रहे है क्योंकि जिम्मेदार अधिकारियों की बेबसी कहे या अवैध अतिक्रमणकारियों के साथ मिलीभगत, शिकायतों का जमावड़ा सिर्फ राजस्व विभाग का कार्यालयों में जमा होकर धूल खा रही है उससे ज्यादा न किसी जिम्मेदार अधिकारी की शिकायतों में नज़र जाती है और न ही कार्यवाही की जाती है।
क्या स्थानीय तहसीलदार का अवैध अतिक्रमणकारियों को संरक्षण?
विश्वसनीय सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक शिकायतकर्ता शिकायत लेकर जिम्मेदार अधिकारी से मिलकर अपनी समस्या बताकर शिकायत करते है। पर तहसीलदार अनावेदक को बुलाकर चर्चा करते है पर धरातल पर कार्यवाही शून्य नजर आता है जिससे साठ गांठ की आशंका है जबकि प्रदेश में भाजपा सरकार के आने के बाद ग्रामीणों को अवैध अतिक्रमण पर बुलडोजर चलने का सपना सजाय अधिकारियों की राह देख रहे थे पर जिम्मेदार अधिकारियों मौन साधे हुए है। जो किसी अन्य ओर इशारा करता है।
तहसीलदार के द्वारा शिकायतकर्ता को ही मिलती है फटकार,,
एक शिकायतकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बीते 3 सालों से उनके अपनी ही जमीन पर हो रहे स्थानीय ग्रामीण के द्वारा अतिक्रमण की शिकायत करने के बाद वर्तमान तहसीलदार के द्वारा अवैध अतिक्रमणकारी के खिलाफ अतिक्रमण तोड़ने की कार्यवाही करने के बजाय अपना संरक्षण देते हुए उल्टा उन्हें ही खूब खरी खोटी सुनाकर जमकर फटकार लगाई जिसके बाद डर से अब दोबारा शिकायत करने का साहस उन्हें नही हो रहा।
छत्तीसगढ़ कौशल के पास ऐसे दर्जनों से ज्यादा शिकायते है जिनका निराकरण आज तक नही हो पाया,,वही दूसरी ओर राज्य सरकार सुशासन तिहार पूरे प्रदेश में मना रही है पर तहसीलदार का दहशत इस कदर ग्रामीणों के अंदर बस गया है कि अब वे सुशाशन तिहार में भी अपनी समस्या शिकायत कर नही पा रहे है,,जिससे यह बात साफ तौर पर नज़र आ रही है कि जिम्मेदार अधिकारियों को अब शासन का भी डर नही है।
जिससे अब यह कहावत साफ तौर पर चरितार्थ हो रही है। अवैध अतिक्रमण कारियो और जिम्मेदार अधिकारियों के लगाव को लेकर कि "जब सईया भये कोतवाल तो डर काहे का।
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