छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज कुरुद:- नगर की शैक्षणिक संस्था किरण पब्लिक स्कूल कुरुद में मंगलवार को नागपंचमी का पर्व मनाया गया।इस अवसर पर बच्चों ने श...
कुरुद:- नगर की शैक्षणिक संस्था किरण पब्लिक स्कूल कुरुद में मंगलवार को नागपंचमी का पर्व मनाया गया।इस अवसर पर बच्चों ने श्यामपट्ट पर नाग देवता की मनमोहक कलाकृति बनाकर उनकी पूजा-अर्चना कर प्रसाद वितरण किया।
नाग पंचमी पर्व से जुड़ी मान्यता का वर्णन करते हुए हिंदी के व्याख्याता मुकेश कश्यप ने बच्चों को बताया कि श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाई जाती है। इस तिथि पर नागदेवता की पूजा की जाती है। पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं इसलिए इस दिन उनका पूजन करने से अनिष्ट टलता है और शुभ की प्राप्ति होती है। गरुड़ पुराण में भी कहा गया है कि नागपंचमी पर घर में अनंत सहित प्रमुख नागदेवता का सचित्र पूजन करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।कई भारतीय पौराणिक कथाओं में नाग और मनुष्य का गहरा संबंध बताया गया है। माना जाता है कि शेषनाग के सहस्त्र फनों पर ही पृथ्वी का भार है। भगवान विष्णु भी क्षीरसागर में शेषशय्या पर विश्राम पाते हैं। शिवजी के गले में सर्प हार है। कृष्ण-जन्म पर नाग देवता की सहायता से ही वसुदेव यमुना पार करके वृंदावन आते हैं।समुद्र-मंथन के समय देवताओं की मदद के लिए वासुकि आगे आए थे। वर्षा ऋतु में जब सांपों के बिल में पानी भर जाता है तो वह बाहर निकल आते हैं और तब उन्हें मारा न जाए बल्कि उन्हें सुरक्षित स्थान पर छोड़ दिया जाए इसकी स्मृति कराने के लिए ही संभवत श्रावण मास में यह पर्व आता है।
भारतीय संस्कृति में प्रकृति में पाए जाने वाले समस्त जीवों से मनुष्य का एक खास आत्मीय संबंध देखा गया है। नागदेव का पूजन भी उसी परंपरा की कडी है। सर्प या नाग नियंत्रण करते हैं। भारत में कृषि जीविका का मुख्य जरिया रहा है और चूहे वगैरह से खेती में बहुत नुकसान होता है।नाग चूहों का सफाया करके खेतों की रक्षा करते हैं और इस तरह संतुलन कायम करते हैं। भगवान दत्तात्रय के एक गुरु नाग देवता भी रहे हैं। नागदेवता भगवान शिव जी के आभूषण के रूप में जाने जाते है।यह पर्व हमें नागदेवता के साथ जोड़ते हुए प्रकृति प्रेम की सीख व जीव-जंतुओं के प्रति प्रेम व समर्पित भाव रखने की सीख प्रदान करता है।
मुकेश कश्यप
प्रधान संवाददाता धमतरी
माें. 6266568521





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