छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज राजधानी । रायपुर कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए शिक्षा विभाग ने बोर्ड कक्षाओं के अलावा सभी लोकल कक्षाओं के...
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राजधानी । रायपुर कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए शिक्षा विभाग ने बोर्ड कक्षाओं के अलावा सभी लोकल कक्षाओं के बच्चों को जनरल प्रमोशन करने का आदेश दिया है. इस आदेश के खिलाफ प्राइवेट स्कूलों का तानाशाही फरमान सामने आया है. छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैंनेजमेंट एसोसिएशन ने प्रदेश के दो लाख छात्रों को जनरल प्रमोट नहीं करने का निर्णय लिया है.
एसोसिएशन ने कहा कि फीस जमा नहीं करने वाले छात्रों को जनरल प्रमोट नहीं किया जाएगा. साथ ही फीस जमा नहीं करने वाले छात्रों को आगे की कक्षाओं की अनुमति नहीं होगी. सरकार के आदेश की अवहेलना करते हुए एसोसिएशन ने यह भी फरमान जारी किया है कि बिना फीस के छात्रों को टीसी भी नहीं दी जाएगी. इससे छात्र दूसरे स्कूल में एडमिशन से भी वंचित हो जाएंगे.
प्राइवेट स्कूल संचालकों ने कोरोनाकाल में फीस नहीं देने वाले छात्रों की सूची भी बनाई है.
जनरल प्रमोट नहीं करने का फैसला निजी स्कूलों के प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में लिया गया. प्रायवेट स्कूल प्रबंधनों का हौसला इतना बुलंद है कि शिक्षा विभाग के आदेश एवं नियम कानून को ठेंगा दिखाने में बाज नहीं आ रहे हैं. इसके लिए कही ना कही जिम्मेदार शिक्षा विभाग ही है, जो कभी कड़ाई से नियम कानून का पालन नहीं कराया और ना ही फीस विवाद का निराकरण कर पाया, जिसका फायदा प्राइवेेट स्कूल प्रबंधन बखूबी उठा रहे हैं.
प्रमोशन नही देने का तानाशाही फरमान
प्राइवेेट स्कूल मैनेजमेंट संघ के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने बताया कि आज राजधानी के डागा स्कूल परिसर में कार्यकारणी की बैठक हुई. बैठक जिसमें 17 जिले के कार्यकारणी के लोग शामिल हुए. बैठक में तीन प्रमुख फैसला लिया गया है. लगभग दो लाख बच्चों को जनरल प्रमोशन नहीं दिया जाएगा, जिनके फीस नही भरा गया है. दूसरा फैसला बगैर टीसी कोई भी स्कूल विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं देगा और तीसरा फैसला स्कूल कॉलेज बंद करना गलत है. जितना जल्दी हो सके स्कूल खोला जाए इसके लिए पत्र लिखा जाएगा.
नियम कानून आदेश के विरूध्द फैसला
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण के मद्देनजर सरकार के आदेशाअनुसार शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी स्कूलों को बंद कर लोकल कक्षा को जनरल प्रमोशन दे दिया है. इसके बावजूद प्राइवेट स्कूल आदेश के खिलाफ फरमान जारी किया है. अब देखना होगा कि शिक्षा विभाग हर बार कि तरह मुखदर्शक बन चुप्पी साधेगी या नियम-कानून के पालन उल्लंघन करने पर कोई कार्रवाई करती है.
शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत
किसी भी विद्यार्थी को फीस के कारण पढ़ाई से वंचित करना कानूनी अपराध है. स्कूल शिक्षा विभाग का ही आदेश है कि किसी भी विद्यार्थियों को बगैर टीसी उनके पीछले साल के मार्कशीट के आधार पर प्रवेश देना होगा. सरकार ने स्कूल बंद कर जनरल प्रमोशन दिया है. ऐसे में स्कूलों को आगे की पढ़ाई रोकना अपराध होगा.




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