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धान खरीदी को लेकर चेतावनी: लंबित मांगें नहीं मानी तो होगा बहिष्कार, महासंघ ने दी चेतावनी

छत्तीसगढ़ कौशल न्युज  धमतरी:- छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ (पंजीयन क्रमांक 6685) ने खरीफ विपणन वर्ष 2025–26 की धान खरीदी को लेकर र...


छत्तीसगढ़ कौशल न्युज 

धमतरी:- छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ (पंजीयन क्रमांक 6685) ने खरीफ विपणन वर्ष 2025–26 की धान खरीदी को लेकर राज्य सरकार को गंभीर अल्टीमेटम दिया है। महासंघ ने स्पष्ट किया है कि यदि उनकी तीन सूत्रीय लंबित मांगों को शीघ्र पूरा नहीं किया गया, तो आगामी धान खरीदी का बहिष्कार करते हुए कठोर आंदोलन शुरू किया जाएगा। महासंघ के प्रतिनिधिमंडल ने नारायणपुर से बलौदा बाजार तक के कर्मचारियों एवं पदाधिकारियों के साथ रायपुर पहुंचकर शासन–प्रशासन को लिखित स्मरण पत्र सौंपा। उनकी प्रमुख मांगों में मध्य प्रदेश सरकार की तर्ज पर प्रतिवर्ष 3-3 लाख रुपये प्रबंधकीय अनुदान, सेवा नियम 2018 में आवश्यक संशोधन, जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों के माध्यम से भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता, तथा वर्ष 2023–24 और 2024–25 की धान खरीदी पर सुखत खरीदी सहित प्रोत्साहन राशि प्रदान करना शामिल है।

इस अवसर पर प्रदेश महासचिव ईश्वर श्रीवास, प्रदेश उपाध्यक्ष मनबहल महावीर (नारायणपुर), किशुन देवांगन (राजनांदगांव जिला अध्यक्ष), रामकुमार साहू (बलौदा बाजार), नरेंद्र साहू (कांकेर), रामलाल साहू (गरियाबंद), तुलाराम (महासमुंद जिला अध्यक्ष), दीपक जायते और जितेंद्र कुमार सहित दर्जनों पदाधिकारी उपस्थित रहे। महासंघ का आरोप है कि पिछले वर्ष लगभग 12 दिनों तक चले अनिश्चितकालीन आंदोलन के बावजूद सरकार ने केवल आश्वासन दिया। फरवरी के बाद शेष धान में सुखत देने का लिखित पत्र देने के बावजूद उसे लागू नहीं किया गया, जिससे प्रदेश के लगभग 13,000 कर्मचारियों और उनके 65,000 परिवारों को भारी नुकसान झेलना पड़ा। महासंघ के अनुसार, बस्तर से मानपुर मोहला तक कई समितियों में करोड़ों की धान खुले आसमान के नीचे खराब हो रही है, वहीं कुछ समितियों के प्रबंधकों एवं ऑपरेटरों को बिना उचित जांच के जेल भेजा जा रहा है। संगठन का कहना है कि यदि समय पर धान उठाव और परिवहन व्यवस्था दुरुस्त कर दी जाए, तो ऐसी समस्याएं उत्पन्न ही नहीं होंगी।

      प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र कुमार साहू ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर तत्काल सकारात्मक निर्णय नहीं लिया, तो आगामी खरीफ सीजन में धान खरीदी का बहिष्कार कर आंदोलन को आक्रामक रूप दिया जाएगा।


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