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रिसर्च मेथाडोलॉजी पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ

छत्तीसगढ़ कौशल न्युज  अभनपुर:-  ग्रेसियस कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन, अभनपुर में शिक्षा विभाग एवं आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (IQAC) के संयुक्त त...


छत्तीसगढ़ कौशल न्युज 

अभनपुर:- ग्रेसियस कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन, अभनपुर में शिक्षा विभाग एवं आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (IQAC) के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय राष्ट्रीय आभासी कार्यशाला “रिसर्च मेथाडोलॉजी” विषय पर प्रारंभ हुई। उद्घाटन सत्र की शुरुआत माँ सरस्वती की वंदना से हुई।कार्यशाला की ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक ने तीन दिवसीय कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य शिक्षकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों को शोध के क्षेत्र में नई दिशा प्रदान करना तथा आधुनिक शोध पद्धतियों से अवगत कराना है। उन्होंने बताया कि “रिसर्च मेथाडोलॉजी” अनुसंधान के तरीकों का एक व्यवस्थित अध्ययन है, जो शोधकर्ता को अपने कार्य को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए प्रेरित करता है।

           कॉलेज की प्राचार्य एवं कार्यशाला की आयोजिका डॉ. रिया तिवारी ने कहा कि रिसर्च मेथाडोलॉजी शोध करने के लिए अपनाई जाने वाली व्यवस्थित रणनीतियों, प्रक्रियाओं और तकनीकों का अध्ययन है। यह शोधकर्ताओं को डाटा एकत्रित करने और उसका विश्लेषण करने के वैज्ञानिक तरीकों का मार्गदर्शन करती है, जिससे विश्वसनीय एवं मान्य निष्कर्ष प्राप्त किए जा सकें।कार्यशाला के प्रथम दिवस के प्रथम सत्र की रिसोर्स पर्सन डॉ. सांत्वना मिश्रा (एसोसिएट प्रोफेसर, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एजुकेशन प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन – NIEPA, नई दिल्ली) रहीं। उन्होंने “रिसर्च प्रपोजल राइटिंग” विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि शोध प्रस्ताव समाज की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर तैयार किया जाना चाहिए। उन्होंने रिसर्च में मौजूद “गैप” की पहचान को आवश्यक बताया तथा कहा कि प्रस्ताव तैयार करते समय विषय, उद्देश्य, आवश्यक संसाधन एवं परिवेश को ध्यान में रखना चाहिए। डॉ. मिश्रा ने कहा कि एक प्रभावी रिसर्च प्रपोजल संक्षिप्त, उद्देश्यपूर्ण एवं नवीन विचारों से युक्त होना चाहिए।

         द्वितीय सत्र में प्रोफेसर मेहमूद अहमद खान ने “एक्सपेरिमेंटल रिसर्च” विषय पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने आश्रित एवं स्वतंत्र चर (Dependent & Independent Variables) की भूमिका समझाई तथा “फैक्टोरियल डिजाइन” और “प्री-टेस्ट–पोस्ट-टेस्ट डिजाइन” पर चर्चा की। सत्र के अंत में विद्यार्थियों ने अपने प्रश्न रखे, जिनके उत्तर रिसोर्स पर्सन द्वारा दिए गए।कार्यशाला का आभार प्रदर्शन डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक ने किया तथा संचालन श्री नीरज शर्मा (सहायक प्राध्यापक) ने किया। इस राष्ट्रीय आभासी कार्यशाला में देशभर से प्राध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में शामिल हुए।

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