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इस गांव में मिलती है ‘कैंसर’ की चमत्कारी दवा, देश-विदेश से रोजाना आते हैं हजारों मरीज, फ्री में होता है इलाज!

  छत्तीसगढ़ कौशल न्युज  स्वास्थ्य से बड़ा कोई धन नहीं, और जब बात कैंसर जैसी गंभीर और असाध्य बीमारी की हो, तो इसका इलाज ढूंढना जीवन और मृत्यु...

 

छत्तीसगढ़ कौशल न्युज 

स्वास्थ्य से बड़ा कोई धन नहीं, और जब बात कैंसर जैसी गंभीर और असाध्य बीमारी की हो, तो इसका इलाज ढूंढना जीवन और मृत्यु के बीच की लड़ाई जैसा होता है। ऐसे में, मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के एक छोटे से गांव कान्हावाड़ी में स्थित वैद्य भगत बाबूलाल एक ऐसा नाम है, जिनके द्वारा किए गए उपचारों ने कई लोगों की ज़िंदगी में आशा की किरण जगाई है। बिना किसी शुल्क के जड़ी-बूटियों द्वारा इलाज करने वाले भगत बाबूलाल की सेवाएं अब पूरे देशभर में प्रसिद्ध हो रही हैं। बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी तहसील से लगभग 3 किलोमीटर दूर कान्हावाड़ी गांव में रहने वाले भगत बाबूलाल ने पिछले कई वर्षों से कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज में महारत हासिल की है।

यहां के जंगलों में पाई जाने वाली बहुमूल्य जड़ी-बूटियों का उपयोग करके वह असाध्य रोगों का इलाज करते हैं। उनका कहना है कि सही जड़ी-बूटियों और रोगी की नियमितता से कैंसर जैसी बीमारियों से भी छुटकारा पाया जा सकता है। कई लोगों के लिए यह हैरान करने वाला है कि भगत बाबूलाल इसके बदले में किसी से एक रुपया तक नहीं लेते। वे इसे मानवता की सेवा मानते हैं और यही कारण है कि हर रविवार और मंगलवार को उनके यहां दूर-दूर से हज़ारों की संख्या में मरीज पहुंचते हैं। कृपया ध्यान दें कि भगत बाबूलाल से मिलने का समय केवल रविवार और मंगलवार सुबह 8 बजे से है, और भीड़ को देखते हुए आपको एक दिन पहले रात को ही यहां पहुंचना होगा।

तीन पीढ़ियों से जड़ी बूटियों से हो रहा उपचार

कान्हावाड़ी के नाथूराम गोहे ने बताया कि “बाबूलाल भगत कई वर्षों से जड़ी बूटियों से कैंसर सहित कई गंभीर बीमारियों का निशुल्क उपचार कर रहे हैं. बाबूलाल भगत के पहले उनके पिताजी और अब उनके भतीजे भी जड़ी बूटियों से लोगों का उपचार कर रहे हैं। यहां हाथ पैर दर्द से लेकर कैंसर तक का उपचार जड़ी बूटियों के माध्यम से होता है। भगत जी के कारण रविवार और मंगलवार को गांव में बहुत भीड़ रहती है। इसके चलते गांव वालों ने रोजगार मिल रहा है।

कैंसर के अलावा अन्य असाध्य रोगों की भी देते हैं दवा

यहाँ आने वाले अधिकतर लोग ऐसा दावा करते हैं मेडिकल साइंस जिस बीमारी को पकड़ नहीं पाता ऐसे असाध्य बीमारियों का भी वैद्य बाबूलाल भगत इलाज करते हैं। इसके अलावा जिन दंपतियों को लंबे समय से संतान नहीं हुई है उसके लिए भी ये दवा देते हैं। वैद्य बाबूलाल कहते हैं कि कुछ दुर्लभ जड़ी-बूटियाँ कठिनाई से उपलब्ध होते हैं इसलिए वे दवाईयों के नियमित और समय पर सेवन के लिए ज़ोर देते हैं ताकि मरीज़ों को शीघ्रता से लाभ हो।

जड़ी-बूटियों के साथ परहेज भी जरूरी

भगत बाबूलाल द्वारा दी जाने वाली जड़ी-बूटी का असर परहेज करने पर ही होता है। मांसाहार, शराब, और कुछ विशेष प्रकार की सब्जियां इस इलाज के दौरान प्रतिबंधित रहती हैं। जिन मरीजों ने इस परहेज को सख्ती से पालन किया है, उन्हें इलाज का अधिक फायदा हुआ है।कान्हावाड़ी के रामशंकर गोहे बताते है कि “बाबूलाल भगत के पास दूर दराज से लोग इलाज कराने आते है। यहां जड़ी बूटियों के माध्यम से कैंसर सहित कई बीमारियों का इलाज करवाने विदेश तक के लोग आते हैं और ठीक भी होते हैं। उनका कहना था कि लोग वापस आकर बताते भी हैं, कि उन्हे यहां आकर काफी आराम मिला है। साथ ही बीमारी भी ठीक हुई है।”


ऑपरेशन के बाद दोबारा हुआ ओरल कैंसर, जड़ी-बूटी से हुए स्वस्थ्य

नागपुर से आई मेघा टांडेकरने बताया कि “मेरे पति को 3 स्टेज का ओरल कैंसर हो गया था। जिसका बड़े अस्पताल में इलाज करवाया। डॉक्टर ने ऑपरेशन भी किया, लेकिन एक साल बाद में दोबारा ओरल कैंसर हो जाने पर डॉक्टर ने इलाज से इनकार कर दिया। जिसके बाद कान्हावाड़ी गांव में भगतजी के पास पहुंचे। भगत जी की जड़ी बूटियों से इलाज करवाना शुरू किया, जिससे मेरे पति अब बिल्कुल ठीक है। वह स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हैं।” यवतमाल के एक ड्राइवर पिछले आठ साल से 18 पेशेंट लेकर आ चुके हैं। जिन्होंने अपनी आँखों से सबको ठीक होते हुए देखा है उनमें से किसी को ब्रेस्ट केन्सर था, किसी को गाल का कैंसर का था। उनके लाये हुए मरीज़ ठीक होते रहे इस वजह से वो अब तक मरीज़ों को यहाँ लेकर आ रहे हैं।


कैसे पहुंचें कान्हावाड़ी?


यदि आप भगत बाबूलाल से इलाज कराना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको पहले से तैयारी करनी होगी। चूंकि यहां हर दिन हज़ारों की संख्या में मरीज आते हैं, इसलिए आपको एक दिन पहले से ही नंबर लगाना पड़ता है। खासकर रविवार और मंगलवार को मरीजों की संख्या बहुत अधिक होती है। महाराष्ट्र, मुम्बई, लखनऊ, भोपाल, और दिल्ली जैसे बड़े शहरों से भी लोग यहां इलाज के लिए आते हैं। कई बार भीड़ इतनी अधिक हो जाती है कि मरीजों को पांच से छह दिन तक इंतजार करना पड़ता है। कान्हावाड़ी गांव बैतूल जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर और घोड़ाडोंगरी तहसील मुख्यालय से करीब 3 किलोमीटर दूर स्थित है। गांव पहुंचने के लिए रेल और सड़क मार्ग दोनों उपलब्ध है। रेल मार्ग से आने पर नागपुर-इटारसी सेक्शन के घोड़ाडोंगरी रेलवे स्टेशन पर उतना पड़ता है। यहां से ऑटो व टैक्सी कान्हावाड़ी के लिए उपलब्ध रहती है। बैतूल, इटारसी, छिंदवाड़ा, भोपाल से बस के जरिए घोड़ाडोंगरी आना पड़ता है। घोड़ाडोंगरी से ऑटो और टैक्सी कान्हावाड़ी के लिए मिलते हैं।


पवित्र कार्य के पीछे का भाव

भगत बाबूलाल अपने इस नेक काम को मानवता की सेवा मानते हैं और लोगों की मदद के लिए सदैव तैयार रहते हैं। उनका मानना है कि प्रकृति ने हमें हर समस्या का समाधान दिया है, बस जरूरत है उसे सही समय और सही तरीके से पहचानने की। उनके द्वारा की जा रही यह सेवा उन लोगों के लिए आशा की किरण है, जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं और जिनका अन्य चिकित्सा पद्धतियों में इलाज संभव नहीं हो पा रहा है।

पूरा पता:

नाम: भगत बाबूलाल

गांव: कान्हावाड़ी

तहसील: घोड़ाडोंगरी (कान्हावाड़ी से 3 किलोमीटर दूर)

जिला: बैतूल (कान्हावाड़ी बैतूल से 35 किलोमीटर दूर)

राज्य: मध्य प्रदेश

अपील: यह जानकारी जनहित में जारी की गई है। इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं ताकि वे इस अमूल्य जानकारी का लाभ उठा सकें।

अस्वीकरण- प्रस्तुत जानकारी देने में बेहद सावधानी बरती गई है। लेकिन मरीज़ के संबंध में कोई निर्णय या इलाज लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इससे संबंधित जान-माल की हानि के लिए छत्तीसगढ़ कौशल न्यूज पोर्टल जिम्मेदार नहीं होगा।

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