छत्तीसगढ़ कौशल न्युज रायपुर:- छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ (पंजीयन क्रमांक 6685) ने अपनी लंबित तीन सूत्रीय मांगों को लेकर एक बार...
छत्तीसगढ़ कौशल न्युज
रायपुर:- छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ (पंजीयन क्रमांक 6685) ने अपनी लंबित तीन सूत्रीय मांगों को लेकर एक बार फिर शासन–प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया, तो खरीफ विपणन वर्ष 2025–26 में धान खरीदी का बहिष्कार किया जाएगा। महासंघ के पदाधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2008 से लगातार इन मांगों के लिए धरना, प्रदर्शन, विधानसभा एवं मंत्रालय घेराव, अनशन, अनिश्चितकालीन आंदोलन, पत्राचार और भेंट-मुलाकात के बावजूद अभी तक कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है।
मुख्य मांगों में मध्य प्रदेश सरकार की तर्ज पर प्रति वर्ष 3–3 लाख रुपये प्रबंधकीय अनुदान प्रदान करना, सेवा नियम 2018 में आवश्यक संशोधन, जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों पर विभागीय से क्रेडर समिति प्रबंधकों की भर्ती एवं कर्मचारियों से कराने तथा वर्ष 2023–24 एवं 2024–25 में खरीदी गई धान पर सुखत खरीदी और प्रोत्साहन राशि देने की मांग शामिल है।
इस मौके पर प्रदेश महासचिव ईश्वर श्रीवास (राजनांदगांव), किशुन देवांगन (राजनांदगांव जिला अध्यक्ष), मनबहल महावीर (प्रदेश उपाध्यक्ष, नारायणपुर), रामकुमार साहू (बलौदा बाजार), नरेंद्र साहू (कांकेर), रामलाल साहू (गरियाबंद), जितेंद्र कुमार, दीपक जायते (कांकेर), तुलाराम (महासमुंद जिला अध्यक्ष) सहित दर्जनों पदाधिकारी उपस्थित रहे।प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य कार्यपालन अधिकारी रायपुर बैंक, संयुक्त पंजीयक रायपुर, मार्कफेड एमडी, खाद्य सचिव, मुख्यमंत्री, सहकारिता मंत्री और खाद्य मंत्री को स्मरण पत्र सौंपा। पत्र में चेतावनी दी गई है कि यदि मांगें पूरी नहीं की गईं तो धान खरीदी का बहिष्कार कर कठोर आंदोलनात्मक रुख अपनाया जाएगा।पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि पिछले वर्ष लगभग 12 दिनों तक चले अनिश्चितकालीन आंदोलन के बाद शासन ने अंतर्विभागीय समिति गठित कर धान खरीदी संबंधी वादों को पूरा करने का आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक उसका पालन नहीं हुआ। बस्तर से लेकर मानपुर-मोहला तक कई समितियों में करोड़ों रुपये की धान खुले आसमान के नीचे खराब हो रही है, जबकि जिन समितियों से समय पर उठाव हो रहा है वहां यह व्यवस्था लाभकारी सिद्ध हो रही है। प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र कुमार साहू ने कहा कि सरकार यदि धान परिवहन व्यवस्था को दुरुस्त कर ले तो समस्या स्वतः समाप्त हो सकती है। अन्यथा कर्मचारियों और उनके परिवारों (लगभग 65 हजार) के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ महासंघ कठोर निर्णय लेने को बाध्य होगा।
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